Munh Mein Virya Gira Kar Chala Gaya Boyfriend

मैं एक छोटे से शहर की रहने वाली लड़की जो की मुंबई के बीच पड़ गई मुंबई की भीड़ में मुझे ऐसा प्रतीत होता जैसे कि पता नही मैं कहां आ गयी हूँ। इतनी भीड़ देखकर मैं शुरुआत में तो घबरा गई थी मैं जबलपुर की रहने वाली छोटे से शहर की लड़की हूं। जब मैं पहली बार मुंबई आई तो इतनी भीड़ देखकर मैं थोड़ा नर्वस होती जी लेकिन उस वक्त मेरे पिताजी मेरे साथ थे। जब हम लोगों स्टेशन में उतरे तो वहां पर उतरते ही हम लोग बाहर गए वहां से हम लोगों ने ऑटो रिक्शा ले लिया ऑटो रिक्शा भी बिल्कुल मीटर पर चल रहा था। हमारे छोटे से शहर में तो ऑटो रिक्शा वालों से उलझना मुश्किल था आधे समय तो उनसे वह भाव करने में ही बर्बाद हो जाता। Munh Mein Virya Gira Kar Chala Gaya Boyfriend.

उसने हमें हमारे बताए हुए पते पर पहुंचा दिया तो हम लोग वहां पर गए और जब हम लोग सीमा आंटी से मिले तो मेरे पिताजी भी मेरे साथ थे। आंटी हमें कहने लगे आप देख लीजिए मेरे पिताजी रूम में गए तो पिताजी रूम को देखने लगे वहां बड़ी ही सफाई थी कोई भी सामान इधर-उधर नहीं दिख रहा था पिताजी ने सीमा जी से कहा ठीक है हम कंचन का सामान यहीं रखवा देते हैं। पिताजी ने सामान रखवा दिया और आंटी को कुछ पैसे पकड़ा दिए आंटी के हाथ में पैसे जाते ही उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी।

पिताजी और सीमा
आंटी आपस में बात कर रहे थे मैं चुपचाप उनकी बातें सुन रही थी फिर उन्होंने मुझसे
पूछ ही लिया की कंचन तुम्हारा किस कंपनी में सिलेक्शन हुआ है। मैंने आंटी को अपनी
कंपनी का नाम बताया तो वह कहने लगी चलो यह तो बहुत खुशी की बात है और जब उन्होंने
यह कहा तो उसके बाद जैसे सीमा आंटी को मेरी मां बनने का अधिकार मिल चुका था। जिस
प्रकार से मेरे घर पर मेरी मां मेरी निगरानी रखती थी उसी प्रकार से सीमा आंटी भी
मुझ पर पूरी तरीके से निगरानी रखती थी की मैं कब ऑफिस जा रही हूं और कब ऑफिस से
लौट रही हूं यह सब जानकारी आंटी को रहती थी। सीमा आंटी दिल की बहुत ही अच्छी थी
लेकिन उनके शक करने से सब लोग परेशान रहते थे उन्होंने पी जी को पूरी तरीके से
अपने कब्जे में रखा हुआ था और आंटी के इजाजत के बिना कोई भी घर से बाहर नहीं जाता
था। आंटी किसी को भी बिना परमिशन के कहीं नही जाने देती थी और रात को 10:00 बजे के बाद
कहीं जाना तो जैसे कोई गुनाह हो जाता था।

आंटी बिल्कुल भी इन चीजों को बर्दाश्त नहीं करते थे और वह हमेशा ही कहती थी रात को 10:00 बजे के बाद कोई भी ना घर पर आएगा और ना हीं घर से जाएगा। मैं सुबह के वक्त अपना ऑफिस चली जाया करती थी और ऑफिस में भी मेरी दोस्ती अब काफी लोगों से हो चुकी थी क्योंकि मैं छोटे शहर की रहने वाली एक सामान्य सी परिवार की लड़की हूं इसलिए मुझे थोड़ा एडजेस्ट करने में समय लगा परंतु अब धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होने लगा था मेरे दोस्त भी बन चुके थे। एक दिन हमारे ऑफिस में हीं हमारे साथ काम करने वाली लड़की का बर्थडे था उसने अपने बर्थडे सेलिब्रेट करने के लिए एक हॉल भी बुक करवा लिया था और वहां पर वह हमें पार्टी देना चाहती थी। मैंने आंटी से इजाजत ले ली थी और कहा था कि आंटी मुझे आने में देर हो जाएगी उन्होंने पहले मुझसे कारण पूछा कि क्यों तुम्हें आने में देर होगी उसके बाद जब मैंने आंटी को बताया कि मेरी सहेली का बर्थडे है तो इसलिए मुझे आने में देर होगी।

पहले आंटी को
यकीन नहीं हो रहा था फिर मैंने अपनी सहेली से ही आंटी की बात करवाई तब जाकर आंटी
को यकीन आया और वह कहने लगी देखो बेटा मुझे गलत मत समझना यह मेरी जिम्मेदारी है
पहले भी यहां पर दो लड़कियां रहती थी और वह दोनों ही भाग गई थी उसके बाद मेरे ऊपर
ही उनके भागने का इल्जाम लगाया गया मैं उस बात से बहुत परेशान थी इसलिए मैं नहीं
चाहती कि आगे ऐसा कुछ हो। आंटी ने मुझे जाने की इजाजत दे दी थी इसीलिए मैं अब अपनी
दोस्त की पार्टी में चली गई। उस दिन मुझे आने में देर भी हो गई थी लेकिन मैं आंटी
को बता कर गई थी इसलिए आंटी ने मुझे कुछ नहीं कहा। जब मैं पी जी में आई तो उसके
बाद मुझे बहुत नींद आ रही थी और मैं गहरी नींद में सो गई।

मैं अगले ही दिन जब सुबह उठकर अपने ऑफिस गई तो मेरे सिर में काफी तेज दर्द हो रहा था क्योंकि मेरी नींद पूरी नहीं हो पाई थी इस वजह से मेरे सर में दर्द था। हमारे ऑफिस में ही काम करने वाले नितेश ने मुझे घर पर छोड़ा लेकिन नितेश को आंटी ने देख लिया था और फिर आंटी ने मुझे पूछा कि वह लड़का कौन था। मैंने आंटी को सारी बात बताई और कहा वह मेरे ऑफिस में काम करने वाला लड़का है उसका नाम नितेश है आंटी बिल्कुल मेरी मां की तरह बर्ताव करती थी। मुझे कई बार तो ऐसा प्रतीत होता कि वह बिल्कुल मेरी मां की जैसी ही है मेरी मां भी हर एक बात पर मुझसे पूछा करती थी लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि नितेश और मेरे बीच में जल्द ही प्रेम संबंध बन जाएंगे।

नितेश अंबाला के रहने वाला है और मुझे नितेश के साथ में बात करना अच्छा लगता था लेकिन न जाने आंटी को कहां से यह बात पता चली की नितेश मुझे हमेशा घर पर छोड़ने के लिए अपनी कार से आते थे। आंटी ने मुझे अपने पास बैठने के लिए कहा तो मैं समझ गई कि आंटी आज कुछ तो मुझे कहने वाली हैं क्योंकि बिना वजह वह किसी को भी अपने पास नहीं बैठाती थी। आंटी ने मुझे कहा देखो कंचन तुम लड़कों की फितरत को नहीं जानती हो सब लड़के एक जैसे होते हैं। सीमा जी के जीवन में भी जरूर कोई धोखा उन्हें मिला था इसीलिए आंटी मुझे यह सब बता रही थी। आंटी ने मुझे कहा देखो तुम उस लड़के पर इतना भरोसा मत करो मैं देखती हूं कि हर रोज वह तुम्हें छोड़ने के लिए आता है तुम यहां काम करने के लिए आई हो और अपने काम पर पूरा ध्यान दो।

आंटी की बात
से मैं पूरी सहमत थी लेकिन यह मेरी निजी जिंदगी का सवाल था और मैं नहीं चाहती थी
कि इसमें कोई भी हस्तक्षेप करें इसलिए मैंने आंटी की बातों पर बिल्कुल भी ध्यान
नहीं दिया। मैंने आंटी से कहा कि आंटी अभी मैं चलती हूं मुझे काफी नींद आ रही है, आंटी शायद
मेरे इस व्यवहार से गुस्सा थी और उन्होंने उसके बाद मुझसे अच्छे से बात भी नहीं
की। मैं नहीं चाहती थी कि आंटी मेरी वजह से गुस्सा रहे मैंने उन्हें कहा कि आंटी
आप को मेरी बात का बुरा लगा हो तो मैं उसके लिए आपसे माफी मांगती हूं। आंटी कहने
लगी बेटा ऐसी बात नहीं है मैं तुम्हें अपनी लड़की के समान मानती हूं और यदि मैंने
तुम्हारी भलाई की बात की तो इसमें मैंने कुछ भी गलत नहीं कहा।

आंटी की बात
से मैं पूरी तरीके से सहमत थी लेकिन वह नितेश से मिली नहीं थी और बिना मिले ही वह
कैसे नितेश के बारे में सोच सकती थी। मैंने आंटी से माफी मांग ली थी और आंटी भी
उसके बाद मुझसे पहले की तरह ही बात करने लगी थी। मेरे और नितेश के बीच नज़दीकियां
बढ़ती जा रही थी हम दोनों एक दूसरे के साथ शारीरिक संबंध बनाने को तैयार थे लेकिन
हमें कभी मौका ही नहीं मिल पाता था आखिरकार एक दिन वह मौका आया जब पहली बार मैंने नितेश
को किस किया। उसके होठों को चूम कर मुझे बड़ा अच्छा लगा पहली बार ही मैंने किसी
लड़के के होठों को किस किया था यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी क्योंकि मैं एक छोटे
से शहर की रहने वाली थी यह सब मैं कभी भी अपने कॉलेज के दिनों में कर नहीं पाई थी।

यह मेरा पहला ही मौका था कुछ ही दिनों बाद नितेश और मैंने घूमने का फैसला किया लेकिन सीमा आंटी को समझा पाना बड़ा मुश्किल था आखिरकार मैंने उन्हें समझा दिया और मैं नितेश के साथ कुछ दिनों के लिए घूमने के लिए चली गई। हम दोनों घूमने के लिए माथेरन चले गए थे माथेरन मुंबई के पास ही एक जगह है। जब हम लोग वहां पर गए तो वहां पर हम दोनों ने एक रूम ले लिया और उस दिन जब हमारे बीच सेक्स संबंध बने तो वह मेरे जहन में आज तक ताजा है। पहली बार मैंने नितेश के लंड को अपने मुंह में लिया तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मैंने उसके लंड को काफी देर तक चूसा।

मैंने नितेश
से कहा तुम भी मेरी चूत को चाटो क्योंकि मुझे मालूम था कि हम लोग घूमने के लिए जा
रहे हैं इसलिए मैंने अपनी चूत के बालों को साफ कर लिया था। जब नितेश ने मेरी टाइट
योनि के अंदर लंड को प्रवेश करवाया तो मै चिल्ला रही थी। लड अंदर जा चुका था मेरी
योनि से खून बाहर की तरफ निकल आया था जैसे ही नितेश का लंड मेरी योनि के अंदर बाहर
होता तो मुझे मीठे दर्द का एहसास होता और ऐसा लगता जैसे कि वह मुझे सिर्फ चोदता ही
रहे। नितेश ने मेरे साथ ऐसा ही किया नितेश तो जैसे मुझे छोड़ने का नाम ही नहीं ले
रहा था। नितेश ने मेरे साथ करीब 10
मिनट तक सेक्स संबंध बनाए जब नितेश
का वीर्य मेरी योनि के अंदर गिरा तो मुझे ऐसा प्रतीत हुआ जैसे कोई गरम चीज मेरी
चूत में गिर गई हो।

हम लोगों ने रात का डिनर किया उसके बाद मानो नितेश के अंदर दोबारा से वही ऊर्जा पैदा हो गई थी। रात के वक्त नितेश ने मुझे चोदना शुरु किया तो मुझे बड़ा मजा आया। जब नितेश ने मुझे घोड़ी बनाकर चोदा तो मेरी चूत से लगातार खून बाहर निकल रहा था और मुझे बहुत मजा आ रहा था। काफी देर तक यह सिलसिला जारी रहा जैसी ही मेरी योनि के अंदर दोबारा से नितेश ने अपने गरमा गरम और ताजे वीर्य को गिराया तो मैंने उसे गले लगा लिया। “Munh Mein Virya Gira”

जब मैने नितेश को गले लगा लिया तो मैने उसे कहा नितेश कहीं में प्रेग्नेंट तो नहीं हो जाऊंगी? नितेश कहने लगा नहीं कंचन ऐसा कुछ भी नहीं होगा तुम मुझ पर पूरा भरोसा रखो। नितेश के भरोसे को मैंने मान तो लिया था लेकिन मुझे क्या पता था वह कुछ ही दिनों बाद मेरे सारे संबंध खत्म कर लेगा और नितेश मुझे छोड़ कर चला जाएगा। मैं प्रेग्नेंट हो चुकी थी मैं हर रोज नितेश के बारे में सोचती रहती थी। “Munh Mein Virya Gira”

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