Hotel Mein First Sex Karne Gai Apne Premi Ke Sath

hindi sex story मैंने पूजा दीदी को फोन लगाया तो उनका फोन भी नहीं लग रहा था और मौसम भी बहुत खराब होने लगा था मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए। मैं बहुत ही ज्यादा परेशान हो गई थी और मां भी बहुत परेशान थी मां कहने लगी यह अंजलि भी बहुत लापरवाह है। मां अपने मुंह के अंदर पता नहीं क्या कह रही थी उनके चेहरे पर साफ तनाव छलक रहा था और वह बहुत ज्यादा दुखी नजर आ रही थी। मेरे पास भी शायद इस बात का कोई जवाब नहीं था क्योंकि मैं भी दीदी का इंतजार कर रही थी और दीदी अब तक घर नहीं लौटी थी। Hotel Mein First Sex Karne Gai Apne Premi Ke Sath.

मैंने मां से कहा कि मां आप चिंता मत करो दीदी घर आ जाएगी तो मां कहने लगी पता नहीं वह कब तक घर लौटेगी मैं तो सोच रही हूं कि जल्दी ही घर लौट आती तो कम से कम चिंता तो नहीं होती। तभी एकदम से बारिश भी तेजी से होने लगी बारिश बहुत तेज होने लगी थी मैंने जब खिड़की खोल कर देखा तो बारिश पूरी तरीके से अपने रंग में आ चुकी थी और पानी भी भरने लगा था। दीदी अब तक नहीं लौटी थी और दीदी का नंबर भी अभी तक नहीं लग रहा था मां कहने लगी बेटा जरा दोबारा से अंजलि को फोन करना मैंने मां से कहा मां अभी करती हूं लेकिन पूजा दीदी का फोन अब तक नहीं लग रहा था और मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि दीदी का फोन क्यों नहीं लग रहा है।

तभी एकदम से
दरवाजा खटखटाने की आवाज आने लगी मां दौड़ी और दरवाजे की तरफ गई तो देखा पूजा दीदी
दरवाजे पर खड़ी थी और वह पूरी तरीके से चुकी थी। मां कहने लगी कि तुम कहां रह गई
थी मैंने मां से शांत होने के लिए कहा अंजलि दीदी को हर रोज मां डांटा करती थी
इसलिए दीदी मां से बहुत कम बात किया करती थी। मां दीदी की चिंता तो करती थी परंतु
फिर भी उन दोनों के बीच बहुत कम बातें होती थी मां ने दीदी से पूछा कि तुम कहां रह
गई थी तो पूजा दीदी कहने लगी कि मैं अपने ऑफिस से निकल ही रही थी कि बारिश एकदम से
लग गई वहां से आने के लिए कुछ भी नहीं मिल रहा था और मेरा फोन भी बंद हो गया था।

मैंने दीदी से कहा कोई बात नहीं दीदी आप कपड़े बदल लीजिए दीदी अब कपड़े बदलने के लिए कमरे में चली गई और कुछ देर बाद वह कपड़े बदल कर आई तो मां पूजा दीदी को ना जाने क्या क्या कह रही थी। दीदी बहुत ही ज्यादा परेशान थी और उनके चेहरे पर भी परेशानी साफ दिख रही थी पता नहीं वह किस वजह से परेशान थी। मैंने जब दीदी से इस बारे में पूछा तो दीदी ने मुझे कुछ भी नहीं बताया और वह कहने लगी ज्योति कुछ भी तो नहीं हुआ है लेकिन दीदी की आंखों में उनका झूठ दिखाई दे रहा था मैंने उनके झूठ को पकड़ लिया था और मुझे पता चल चुका था कि वह झूठ बोल रही है। मैंने दीदी से कहा दीदी आप क्यों झूठ बोल रही हैं तो वह मुझे कहने लगे कि पूजा अब तुम ही बताओ मैं क्या करूं। मैंने दीदी से कहा देखो पूजा दीदी तुम्हें बताना तो पड़ेगा ही कि आखिर हुआ क्या है तो दीदी ने मुझे बताया कि वह अपने ऑफिस में एक लड़के से प्यार करती हैं और आज वह उसी के साथ थी और उसे आने में इसी वजह से देर हो गई।

मैंने दीदी
की तरफ़ देखा और दीदी से कहा कि अच्छा तो आपने मम्मी से झूठ कहा दीदी कहने लगी ज्योति
मैं भला क्या करती। मेरे अंदर भी दीदी के प्रेमी को देखने की लालसा जगने लगी थी
मैंने दीदी से कहा कि दीदी आप मुझे अपने होने वाले पति की फोटो तो दिखाइए। दीदी
कहने लगी तुम मुझे छेड़ो मत,
दीदी जी शरमाने लगी और कहने लगी
जाओ ज्योति तुम अभी मुझे परेशान मत करो तुम दूसरे कमरे में चली जाओ मैं दूसरे कमरे
में चली गई। दीदी अब उसी लड़के से फोन पर बात कर रही थी और मैं सारी बातें सुन रही
थी दीदी मुझे कहने लगी ज्योति अंदर आ जाओ यदि मम्मी को पता चला तो मम्मी पता है ना
क्या कहेंगे। दीदी ने फोन काट दिया और वह मुझसे बात करने लगी,  मैंने दीदी
से कहा दीदी आप भी आखिरकार छुपे रुस्तम निकले और आपने किसी को भी इस बारे में भनक
तक नहीं लगने दी। दीदी ने मुझे जब विवेक की फोटो दिखाई तो मैंने दीदी से कहा दिखने
में तो लड़का ठीक है दीदी कहने लगी यह मेरे ऑफिस में मैनेजर हैं मैंने दीदी से कहा
तो तुम मम्मी से क्यों नहीं कहती।

दीदी कहने लगी तुम्हें मालूम है ना मम्मी बिल्कुल ही पुराने खयालात की है और यदि उन्हें इस बारे में पता चला तो वह बात का बतंगड़ बना देंगे इसलिए उन्हें बताना बिल्कुल भी ठीक नहीं रहेगा। दीदी ने मम्मी को इस बारे में कुछ नहीं बताया लेकिन मुझसे वह विवेक के बारे में बातें करती रहती थी और मुझे भी दीदी के साथ बैठकर उनकी बातें सुनना अच्छा लगता। दीदी जब ऑफिस से आती तो हर रोज मुझे विवेक और अपने बीच की बातों को बताया करती थी मैंने दीदी से कहा दीदी क्या आप विवेक से शादी करना चाहती हैं। दीदी कहने लगी करना तो चाहती हूं लेकिन मम्मी की मर्जी हुई तो ही कर पाऊंगी नहीं तो तुम्हें पता है कि मम्मी इतनी जल्दी शादी के लिए कहा मानने वाली है मैंने दीदी से कहा तो आप पापा से बात कर लीजिए।

दीदी कहने लगे कि पापा घर पर ही कहां रहते हैं वह तो सिर्फ अपनी नौकरी से छुट्टी लेकर दो-चार दिन के लिए ही घर आते हैं और भला मैं उनसे इस बारे में क्या बात करूं। पूजा दीदी ने मुझे कहा कि ज्योति मैं तुम्हें विवेक से मिलाना चाहती हूं मैं बहुत ही ज्यादा खुश थी क्योंकि मैं भी आकश से मिलने वाली थी। विवेक से जब मेरी पहली बार मेरी मुलाकात हुई तो उनके साथ उनके एक दोस्त भी आए हुए थे उनका नाम दुर्गेश है दुर्गेश से जब मेरी नजर मिली तो हम दोनों की नजरें टकराने लगी और मैं भी अपने दिल पर काबू ना रख सकी। “Hotel Mein First Sex”

कुछ ही समय
बाद दुर्गेश ने भी मेरा नंबर मालूम नहीं कहां से लिया और मुझे फोन करना शुरू कर
दिया। मैं तो घर पर ही रहती थी मेरे कॉलेज की पढ़ाई भी पूरी हो चुकी है और मैं
दीदी की तरह जॉब पर भी नही जाती थी इसलिए मेरा और दुर्गेश का मिलना मुश्किल ही
होता था। मैंने पूजा दीदी को यह बात नहीं बताई थी क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि यह
बात पूजा दीदी को पता चले हम दोनों ने अपने रिश्ते को गुपचुप तरीके से आगे बढ़ाने
के बारे में सोचा, हम दोनों एक दूसरे से फोन पर बातें किया करते। मुझे दुर्गेश
से बात करना अच्छा लगता और हम दोनों के बीच कई बार एक दूसरे को लेकर अश्लील बातें
भी हो जाती थी। एक दिन दुर्गेश ने मुझे कहा कि तुम मुझे कभी मुझे पप्पी दे सकती हो
मैंने उसे कहा भला मैं तुम्हें क्यों पप्पी देने लूंगी।

वह कहने लगा तुम मुझसे प्यार नहीं करती मैंने उसे कहा आप अकार पप्पी दिजिए। दुर्गेश के पास इस बात का कोई भी जवाब नहीं था लेकिन दुर्गेश कि बातों का भी मेरे पास हर कोई जवाब नहीं था और आखिरकार मैं उसे पप्पी देने लगी। जब भी हम लोग मिलते तो हम दोनों एक दूसरे को किस कर लिया करते थे। जब पहली बार मैंने दुर्गेश के साथ किस किया था तो मुझे बड़ा अजीब सा महसूस हुआ था लेकिन मुझे अच्छा लगने लगा और दुर्गेश के साथ किस करना मुझे बड़ा पसंद है। मेरे और दुर्गेश के बीच में सेक्स को लेकर बातें होने लगी हम दोनों एक दूसरे को रोक नहीं पाते थे।

वह दिन नजदीक आ गया जब दुर्गेश के साथ में पहली बार होटल में रुकी मुझे होटल में रुकने का कोई भी अनुभव नहीं था लेकिन मैं सुबह अपने मुंह पर कपड़ा बांधे हुए होटल की तरफ निकली। जब होटल में दुर्गेश ने रूम ले लिया तो हम दोनों साथ में बैठे हुए थे हम दोनों एक दूसरे को साथ पाकर बहुत खुश थे। दुर्गेश ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया जब दुर्गेश ने मुझे अपनी बाहों में लिया तो मुझे भी अच्छा लगने लगा दुर्गेश को बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। “Hotel Mein First Sex”

हम दोनों के
बदन एक दूसरे से टकराते हमारे दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी जब दुर्गेश ने मुझे गले
लगाया तो मुझे साफ तौर पर एहसास हो चुका था कि मेरे दिल की धड़कन बढ़ चुकी हैं।
मैंने दुर्गेश के होठों को चूम लिया दुर्गेश ने भी मेरी चूतड़ों को पकड़ लिया और
वह मुझे अपनी ओर खींचने लगा। हम दोनों एक दूसरे को किस करने में इतना खो गए कि दुर्गेश
ने मुझे नीचे लेटा दिया और उसने मेरे बदन से कपड़े उतारने शुरू किए।

मैं अपने अंतर्वस्त्रों में ही थी मेरे स्तन बाहर की तरफ को झाक रहे थे दुर्गेश ने अपनी जीभ से जैसे ही मेरे स्तनों पर छूआ तो मैं पूरी तरीके से मचलने लगी। मैंने जब अपने हाथों से दुर्गेश के लंड को पकड़ा तो मुझे अच्छा लगने लगा और दुर्गेश ने भी अपने लंड को मेरी योनि पर सटाना शुरू किया तो उसे भी आनंद आने लगा। कुछ ही क्षणों बाद दुर्गेश ने मेरी योनि के अंदर अपने मोटे और काले लंड घुसा दिया मै चिल्लाने लगी मेरे मुंह से तेज चीख निकली। “Hotel Mein First Sex”

दुर्गेश का लंड मेरी योनि के अंदर बाहर हो रहा था मुझे अच्छा लग रहा था क्योंकि दुर्गेश के साथ मुझे शारीरिक संबंध बनाने में मजा आ रहा था। दुर्गेश मुझे लगातार तेजी से धक्के दिए जा रहा था काफी देर तक दुर्गेश ने मेरे साथ मजे लिए लेकिन मेरी टाइट चूत की गर्मी को वह झेल ना सका। उसने मुझे कहा कि अब मुझसे नहीं हो पाएगा मैंने उसे कहा लेकिन मुझे अभी मजा नहीं आया है तो दुर्गेश ने अपनी पूरी ताकत के साथ मुझे धक्के दिए और जिस प्रकार से दुर्गेश ने धक्के मारे मेरी इच्छा पूरी हो चुकी थी। उससे वह मेरे दिल का राजा बन गया और मैंने उसे अपने दिल में बैठा लिया।

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