नाना जी ने मेरी जवान चूत में लंड घुसाया

मैं सुनीता मिश्रा उत्तर प्रदेश के एक शहर के एक गर्ल्स कॉलेज में बी.ए. दूसरे साल की छात्रा हूँ। एक महीने पहले की घटना मैं आप लोगों से शेयर करना चाहती हूँ। मेरे घर पर मेरे दूर के रिश्ते के एक नानाजी आये हुए थे उनकी उम्र करीब 65 साल के आसपास होगी। 

एक बात मैंने नोटिस की कि वे मेरे बड़े-बड़े वक्ष-स्थल को अक्सर घूरते रहते हैं। एक दिन की बात है, सुबह ही मम्मी और पापा अपने ऑफिस चले गए थे और छोटी बहन भी अपने स्कूल चली गई थी। उस दिन मैं कॉलेज नहीं गई थी और घर में केवल मैं और नानाजी थे।

नानाजी को जब मैं नाश्ता देने के लिए झुकी तो मेरे वक्ष-विदरण यानि वक्ष घाटी दिखने लगी, और नानाजी उसे बड़े बेशर्मी से घूर रहे थे। तभी मेरे दिमाग में एक शैतानी विचार आया कि अभी घर में कोई नहीं है क्यों न आज नानाजी की अन्तर्वासना को जागृत किया जाये, मेरा विचार कोई सेक्स करने का नहीं था केवल नानाजी को ललचाने का था।

मैंने नानाजी को उत्तेजित करने के लिए एक आईडिया सोचा फिर उसके बाद नानाजी को कहा- नानाजी, चलिए ड्राइंग रूम में बैठ कर टीवी देखते हैं। नानाजी ड्राइंग रूम में चले गए और टीवी देखने लगे और मैं नाना के सामने वाली सोफा पर अपनी टांग मोड़ के बैठ गई।

भाग्यवश मेरी सलवार की सिलाई जांघों से उधड़ी हुई थी। वैसे लड़कियों को और उनके चोदू यारों को मालूम ही होगा कि सल्वार और विशेषकर पजामी की सिलाई अकसर योनि के पास से उधड़ ही जाती है। तो ऐसे ही मेरी सलवार भी उधड़ी हुई थी और अन्दर मैंने अंतःवस्त्र भी नहीं पहन रखे थे, मेरी गोरे जननांग-लब स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहे थे।

तभी नानाजी की नजर मेरे गुप्तांग की ओर पड़ी तो मैंने झट से अखबार पढ़ने का नाटक करने लगी, अख़बार की बगल से मैं कनखियों से ताक रही थी नानाजी को। मैंने देखा की नानाजी भौंचक्के होकर मेरी योनि को अपनी आँख फाड़-फाड़ कर देख रहे थे। फिर मैंने देखा कि नानाजी धोती में अपना हाथ घुसा के अपने यौनांग को अग्र-पश्च आंदोलित कर रहे हैं।

यह दृश्य देख के मुझे अत्यंत ही उत्तेजना का एहसास हो रहा था और मेरे योनि से स्नेहक का स्राव होने लगा। तभी मैंने देखा कि नानाजी ने अपनी धोती हटा कर अपना लिंग बाहर निकाल लिया, 65 वर्ष के वृद्ध व्यक्ति का एकदम सख्त और खड़ा हुआ लिंग देख कर मैं एकदम अचंभित रह गई, काफी लम्बा और अत्यंत ही मोटा लिंग था।

इसे भी पढ़ें मामा ने मेरी नई नवेली चूत फाड़ दिया

नानाजी का शिश्न-मुंड भी अत्यंत फ़ूला हुआ था, जिसे देख कर मेरे योनि के बाल एकदम गनगना कर खड़े हो गए। नानाजी मेरे विशाल योनि का अवलोकन करते हुए अपने लिंग को पकड़ के उसे आगे-पीछे कर रहे थे। तभी नानाजी ने अपने लिंग को अपने धोती में अन्दर घुसते हुए कहा- बेटी सुनीता आज बहुत गर्मी है, सोफे पर और भी गर्मी लगती है, मैं नीचे जमीन पर बैठ जाता हूँ, जमीन संगमरमर का है तो इस पर बैठने में ठंडक मिलेगी।

ऐसा कहते हुए नानाजी मेरे सोफे के नजदीक आकर जमीन पर बैठ गये और अत्यंत नजदीक से मेरी योनि की खूबसूरती को निहारने लगे। लग रहा था कि नानाजी को योनि स्पष्ट रूप से नहीं दिख रही थी तो नानाजी ने कहा- सुनीता, आराम से बैठ कर अखबार पढ़ो, ऐसे बैठने में तुम्हारे पैर में दर्द नहीं होगा !

और ऐसा कह कर नानाजी ने मेरी दोनों टांगों को फैला दिया और मेरी टांग फैलाते वक़्त बहाने से मेरी सलवार के खुले हुए भाग को और फैला दिया ताकि मेरी योनि अच्छे से दिख सके। मैं 5′ 8″ लम्बी हूँ। इस कारण मेरे लम्बवत लब अत्यंत बड़े हैं, उसके अन्दर की फांकें चार इंच लम्बी हैं।

नानाजी मेरी योनि को अत्यंत गौर से देखते हुए धोती में अपना हाथ घुस के अपना लिंग को हिल रहे थे। थोड़ी देर के बाद नानाजी ने मेरी योनि के पास अपनी नाक को ले जाकर उसे सूंघा, लगता था कि वो मेरी गोरी-गोरी योनि की खुशबू का आनंद ले रहे थे। मेरी योनि के बाल अत्यंत ही घने हैं तो शायद नानाजी को मेरी योनि स्पष्ट रूप से नहीं दिख रही थी।

थोड़ी देर मैंने नानाजी से कहा- नानाजी, मुझे बहुत जोर से नींद आ रही है, मैं सोफे पर ही सो रही हूँ, यदि डोर-बेल बजे तो आप दरवाज़ा खोल दीजियेगा।

ऐसा कह कर मैंने सोने का नाटक किया, ऐसा मैंने इसलिए किया कि मैं यह देखना चाहती थी कि नानाजी मेरे साथ और क्या-क्या करते हैं। मेरे सोने के नाटक के 5 मिनट के बाद नानाजी खड़े होकर मेरा चेहरा देखने लगे कि मैं सचमुच सो गई हूँ या नहीं। नानाजी मेरे हाथ को ऊपर उठा कर उसे नीचे गिरा कर सुनिश्चित किया कि क्या मैं वाकई में सो रही हूँ।

पूर्ण आश्वस्त होने के बाद कि मैं सचमुच सो रही हूँ, नानाजी ने मेरी दोनों टांगों को एकदम से फैला दिया और सलवार के पास खुली हुई जगह को और फैला दिया फिर वे मेरे गुप्तांग के घने बालों को सहलाने लगे, बालों को पकड़ कर हौले-हौले ऊपर की ओर खींचने लगे, ऐसा करना मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था।

फिर नानाजी ने मेरी योनि के दोनों भगोष्ठ को चीर के उसे बीच के गुलाबी भाग को सहलाने लगे, फिर अपने जीभ से उसे चाटने लगे, वो मेरे 4 इंच लम्बे चीरे में अपने जीभ को पूरा ऊपर से नीचे तक चाट रहे थे, मुझे तो स्वर्गिक आनन्द की अनुभूति हो रही थी। मेरी योनि से चिकना सा पदार्थ का स्राव हो रहा था जिसे नानाजी चाट रहे थे।

फिर नानाजी मेरे 1 इंच लम्बे भगनासा को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे, ऐसा करने से मुझे लगा कि मैं तो एकदम पागल हो जाऊँगी। फिर नानाजी ने मेरा चेहरा देखा, पुनः सुनिश्चित किया कि मैं सो रही हूँ, फिर उन्होंने डरते हुए मेरे शमीज को ऊपर किया और हौले से मेरी चोली के ऊपर से ही मेरे बड़े-बड़े अत्यंत कड़े स्तनों का मर्दन किया, मुझे बहुत अच्छा लगा।

और फिर नानाजी ने मेरी कंचुकी को ऊपर सरका कर मेरे वक्षस्थल को अनावरित करने का प्रयास किया पर मेरे अत्यंत ही बड़े स्तन होने के कारण बाहर नहीं निकल पाये तो नानाजी मेरी ब्रा का हुक खोलने के लिए अपने हाथों को मेरे पीठ पर ले गए तो मैंने अपनी पीठ को सोफे से थोड़ा उठा दिया जिससे मेरे ब्रा की हुक आसानी से खुल गई।

इसे भी पढ़ें मामी की गांड चोदने की विधि

हुक खुलने के बाद नाना जी ने मेरे विशाल कुचों को ब्रा से आज़ाद कर दिया और उसके बाद नानाजी ने मेरे दोनों उरोजों का मर्दन शुरू कर दिया, ऐसा करने से मेरे भग के बाल गनगना के एकदम खड़े हो गए, फिर उन्होंने मेरे एक गुलाबी स्तनाग्र को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगे।

तब नानाजी ने अपने धोती में से अपना विशाल लिंग को बाहर निकला जो एकदम उत्थित था, उन्होंने मेरे योनिरस को अपनी उंगली से निकाल के अपने शिश्न-मुंड के ऊपर लगाया और अपने अपने लिंग को आगे पीछे करने लगे। फिर नानाजी ने मेरे हाथ में अपना भीमकाय शिश्न पकड़ा दिया, खीरे जितना मोटा लिंग था जिसे पकड़ने में मुझे बहुत अच्छा लगा।

नानाजी मेरे हाथ को पकड़ कर उसे आगे-पीछे कर रहे थे, फिर उन्होंने अपने शिश्न-मुंड को मेरे नाजुक होठों पर रगड़ना शुरू कर दिया, रगड़ने के कारण मेरे होंठ थोड़े खुल गए और नानाजी का शिश्न-मुंड मेरे मुँह में थोडा सा घुस गया, अत्यन्त मोटा शिश्न-मुंड होने के कारण वो मेरे मुंह में घुस नहीं पा रहा था.

तो मैंने धीरे से अपना मुंह थोड़ा खोल दिया जिससे नानाजी का पूरा शिश्न-मुंड मेरे मुंह में घुस गया। उसके बाद नानाजी मेरे मुंह में अपना लिंग अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया। नानाजी का आधा लिंग मेरे मुंह में घुस गया था, मैंने भी लिंग को धीरे-धीरे चूसना शुरू कर दिया, नानाजी समझ रहे होगे कि मैं इसे नींद में ही चूस रही हूँ।

धीरे-धीरे नानाजी ने अपना पूरा लिंग मेरे मुँह में घुसा दिया और जोर-जोर से मुख मैथुन करने लगे। नानाजी का इतना मोटा लिंग चूसने में मुझे बहुत ही मजा आ रहा था, थोड़ी देर के बाद नानाजी ने अपना लिंग मेरे मुंह से निकाल लिया और फिर मुझे अपने गोद में उठा के मेरे शयन कक्ष में ले जाकर मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मुझे एकदम नि:वस्त्र कर दिया।

मुझे नि:वस्त्र करने के बाद नानाजी स्वंय भी नि:वस्त्र हो गए, फिर वो मेरे नग्न गोरे-गोरे, गुदाज़ ज़िस्म को निहारने लगे, वो मेरे पूरे जिस्म को सहलाने लगे और उसे चूमने लगे। फिर नानाजी ने मेरी बगल में लेट कर मुझे अपने आगोश में ले लिया, मेरी विशाल कड़े स्तन नानाजी की छाती में एकदम धँस गए थे, नानाजी मेरे होठों की गर्मा-गर्म चुम्बन ले रहे थे। 

अब नानाजी ने मुझे पीठ के बल लिटा कर मेरी दोनों टांगों को फैला दिया और मेरे वस्तिक्षेत्र को सहलाने लगे, मेरे गुप्तांग को चीर के उस पर चुम्बन भी लिया। फिर नानाजी ने मेरी योनि से उसकी मलाई के उसे अपने लिंग के शिश्न-मुंड पर लगाया और मेरी दोनों टांगों को एकदम फैला दिया.

और मेरी योनि को चीर कर उसकी फाँक पर अपना लिंग रगड़ने लगे, मुझे इतना ज्यादा आनन्द आ रहा था कि उसे मैं शब्दों में अभिव्यक्त नहीं कर सकती।मैंने सोचा कि जैसे ही नानाजी मेरे योनि में अपना लिंग प्रविष्ट करेंगे वैसे ही मैं जाग जाऊँगी और नानाजी को डांटने लगूंगी।

नानाजी मेरे 4 इंच लम्बे फांक पर अपना लिंग पूरा ऊपर-नीचे रगड़ रहे थे तभी अचानक उनके विशाल शिश्न-मुंड का थोड़ा सा हिस्सा मेरी योनि-मुख में घुस गया, मैंने सोचा कि देखते हैं कि वो अपना और अन्दर तक घुसाते हैं या नहीं, यदि इसके आगे घुसाया तो मैं जाग जाऊँगी।

फ़िर नानाजी ने मेरे कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ के मेरी योनि-मुख पर अपने लिंग से दबाव दिया तो मेरी चिकनी हो चुकी योनि में घप्प से उनका आधा लिंग घुस गया, मैंने तुरंत अपनी आँखें खोल दी और जैसे ही मैंने नानाजी को डांटना चाहा, तब तक नानाजी के एक जोर से धक्के में मेरी कुँवारी योनि में नानाजी का 8 इंच लम्बा लिंग पूरा समा चुका था। मैं एकदम से चिल्ला पड़ी।

इसे भी पढ़ें चाची सेक्स में पागल हो जाती है

मैंने कराहते हुए नानाजी को डाँटते हुए बोला- नानाजी, आप यह क्या कर रहे हैं? आपको ऐसा करते हुए शर्म नहीं आती क्या? पापा-मम्मी को घर आने दो मैं उन्हें आपकी सारी करतूत बताती हूँ।

लग रहा था कि मेरी बातों का नानाजी पर कोई असर नहीं हुआ है, मानो वो किसी और दुनिया में खोये हुए थे और अपने 8 इंच लम्बे दैत्य को मेरी अत्यंत कसी योनि में जोर-जोर से अन्दर-बाहर कर रहे थे, मेरे मुँह से सिसकारी निकल रही थी.

नानाजी का अत्यंत मोटा शिश्न-मुंड मेरी योनि की अत्यंत शक्तिशाली और सख्त मांसपेशियों से बुरी तरह रगड़ खा रहा था, मेरी योनि की सख्त मांसपेशियों ने नानाजी के मोटे लिंग को एकदम भींच रखा था। मेरी कराह और सिसकारी की परवाह किये बगैर नानाजी का हथियार तेजी से मेरे योनि के अन्दर-बाहर हो रहा था।

कमरे में सम्भोग के कारण घप-घप की बहुत भद्दी सी आवाज़ भी फ़ैल रही थी। थोड़ी देर में मेरा दर्द जादुयी रूप से गायब हो गया और मेरी दर्द भरी सिसकारी आनन्द भरी सिसकारी में बदल गई। मेरी योनि को नानाजी के मोटे लिंग से सहवास करवाने में बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था। थोड़ी देर के बाद मैंने अपने नितम्ब ऊपर उठा-उठा के नानाजी को धक्के मारना शुरू कर दिया.

यह देख के नानाजी मुस्कुराने लगे और बोले- सुनीता बेटी, तुम्हें बहुत मजा आ रहा है ना?

मैंने कहा- हाँ नानाजी, बहुत मजा आ रहा है ! आई लव यू नाना जी।

यह सुनकर नानाजी ने कहा- आई लव यू टु बेटी, अब तुम अपने मम्मी-पापा से कुछ नहीं न बोलेगी?

तो मैंने कहा- नहीं नानाजी, अब मैं किसी से कुछ नहीं बोलूँगी।

यह सुनकर नानाजी ने मेरे योनि में से अपना लिंग बाहर निकाल दिया। उनका खड़ा लिंग देख कर मैं नानाजी में एकदम से लिपट गई और उनके होठों पर एक चुम्बन लिया।

फिर नानाजी ने अपना मोटा लिंग मुझे दिखाते हुए कहा- सुनीता, मेरा लिंग दिखने में कैसा है?

मैंने कहा- आपका लिंग बहुत ही मोटा, लम्बा है और दिखने में बहुत ही सुन्दर है।

नानाजी- यह सुन्दर है तो इस पर अपने होंठों की छाप छोड़ो।

तब मैंने नानाजी के मोटे लिंग खोल कर उसके शिश्न-मुंड पर चुम्बन किया तो नाना ने कहा- बेटी, मेरी सुपारी को चाटो तो तुम्हें बहुत अच्छा लगेगा !

तो मैं शिश्न-मुंड को अपने जीभ से चाटने लगी।

फिर उन्होंने कहा- इसे अपने मुँह में लेकर चूसो तो तुम्हें और भी आनन्द आएगा।

इसे भी पढ़ें चुदाई का गहरा रिश्ता बना लिया मौसी के साथ

यह सुनकर मैं उनका लिंग अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी, मेरे लिंग चूसने से उनके मुँह से आनन्द भरी सिसकारी निकल रही थी। इसके बाद वो बिस्तर पर लेट गये और मुझे अपने लिंग पर बैठने को कहा। फिर मैं अपनी तंग योनि को चीर के योनि-मुख को उनके शिश्न-मुंड पर रख के धीरे-धीरे उस पर बैठने लगी. 

मेरी योनि अत्यंत कसी होने के कारण मुझे बहुत ताकत लगानी पड़ रही थी, धीरे-धीरे मैंने पूरे लिंग को अपने योनि में समा लिया और उसके बाद मैं अपने नितम्बों को ऊपर-नीचे करते हुए अपनी योनि की मांसपेशियों से नानाजी को घपाघप चोद रही थी, मेरी योनि की मांसपेशी से घप-घप की बहुत गन्दी सी आवाज़ निकल रही थी।

हम दोनों के मुंह से आनन्द भरी सिसकारियाँ निकल रही थी।15 मिनट के बाद नानाजी ने मेरे योनि के भीतर अपनी गरम-गरम पिचकारी छोड़ दी। सम्भोग करवाने में मुझे इतना ज्यादा मजा आया कि मुझे तो इसका एकदम से चस्का ही लग गया। नानाजी ने मेरे साथ एक सप्ताह तक खूब सेक्स किया। एक दिन नानाजी के साथ सम्भोग करवाते हुए मेरी छोटी बहन ने देख लिया, इसकी एक लम्बी कहानी है जो मैं आपको बाद में बताऊँगी। मैं अपने नानाजी के साथ अपनी गुदा-मैथुन की भी कहानी सुनाऊँगी।

दोस्तों आपको ये नाना जी ने मेरी जवान चूत में लंड घुसाया की कहानी मस्त लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ फेसबुक और Whatsapp पर शेयर करे…………….

Leave a Comment

WP Twitter Auto Publish Powered By : XYZScripts.com