Girls Hostel Ki Masti Pahli Bar Chudai Main Hostel Me

Hindi Sex Story मेरा नाम रागिनी है। आप सभी को मेरा नमस्कार। मेरी उम्र 22 वर्ष है। मैं बंगलोरे में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही हूँ। मेरा घर दिल्ली में है, बंगलोरे में मैं कॉलेज के होस्टल में रहती हूँ। मैं बहुत खूबसूरत तो नहीं हूँ लेकिन एक खूबसूरत जिस्म की मलिका हूँ। मेरा रंग यूं तो गेहुँवा है, मगर भगवान ने मेरे जिस्म को तराश तराश के बनाया है। मेरी फिगर 36-28-32 है। मेरे स्तनों का आकार ऐसा है कि मेरी सूरत से पहले वे ही लड़कों का ध्यान आकर्षित कर लेते हैं। Girls Hostel Ki Masti Pahli Bar Chudai Main Hostel Me.

बात उन दिनों की है, जब मैं
फर्स्ट ईअर पास करके बी टेक सेकेंड ईअर में आ गई, तब मैंने गर्ल्स हॉस्टल में
शिफ्ट कर लिया। फर्स्ट ईअर तक मैं अपनी मौसी के घर रहती थी। होस्टल में मेरी अन्य
सीनियर लड़कियों से मित्रता हुई। उन सभी के बोयफ़्रेंड थे। अक्सर वे छुट्टी के दिन
वार्डन से बहाना करके होस्टल से पूरी रात गायब हो लेती थी और अपने बोय्फ्रेंड्स के
साथ रंगरलियाँ मनाती थी। उनका कहना था जवानी को केवल पढ़ाई में बर्बाद करने से
अच्छा है पढ़ाई के साथ इसका मजा लिया जाए। मुझे उनका बिंदास रहन-सहन भा गया।

अक्सर मैं उन्हीं दीदी लड़कियों
के रूम पर ही रहती थी। हर शनिवार की रात को दीदी लोग होस्टल में पार्टी करती थी और
संडे को अपने बोयफ़्रेंड के साथ होटल में ऐश करती थी। मैं भी शनिवार को दीदी लोग के
रूम पर इंजॉय करने चली जाती थी। दीदी लोग सेटरडे नाइट पार्टी में खूब शराब पीती थी, नॉनवेज
मंगाती थी और फुलसाउंड म्यूजिक पर डांस करती थी। मुझे खूब मजा आता था दीदी लोग की
पार्टी में।

पार्टी खत्म होने के बाद सब लोग सानिया दीदी के रूम में ब्लूफिल्म देखने बैठ जाते। मेरे लिए पार्टी का सबसे मजेदार हिस्सा यही होता था क्योकि शराब मैं बहुत ज्यादा नहीं पी पाती थी। लेकिन ब्लू फिल्म देखने के बाद मेरे तनबदन में आग लग जाती थी। मन करता कि कोई काश किसी मर्द का सानिध्य मिल जाए तो अपनी प्यास बुझा लूं। दीदी लोग तो अपने अपने बोय्फ्रेंड्स के साथ संडे को ऐश करने निकल लेती थी मगर मेरा तो तब तक कोई बोयफ़्रेंड ही नहीं था। मैं बोयफ़्रेंड बनाना भी नहीं चाहती थी क्योंकि मैं यह नहीं चाहती थी कि कॉलेज में दीदियों की तरह बदनाम हो जाऊँ।

हमारे ग्रुप में एक दीदी थी प्रियंका, उन्होंने भी
इसी वजह से कोई बोयफ़्रेंड नहीं बनाया था। तो ग्रुप में मैं और प्रियंका दीदी जब संडे
को होस्टल में अकेले रह जाते थे,
तो हम लोग सानिया दीदी के
लैपटॉप पर पिक्चर देख के एन्जॉय कर लेते थे।

एक बार की बात है, सेटरडे नाइट
पार्टी के बाद सब लोग अपने अपने रूम में चले गए। मुझे नींद नहीं आ रही थी। ज्यादा
शराब पी लेने की वजह से मुझे बार बार पेशाब लग रही थी। मैं रात में टोयलेट की तरफ
जा रही थी तभी मैंने प्रियंका दीदी को मेस की तरफ जाते देखा। मैंने दीदी को आवाज़
दी। दीदी ठिठक कर रुक गई।

मैं उनके पास गई तो वो बोली-
मुझे टोइलेट जाना है। दीदी की आँखें देख कर मुझे लगा
कि उन्हें ज्यादा चढ़ गई है।

मैं बोली- दीदी टाइलेट तो उधर
है क्या मेस में सूसू करेंगी?

फिर मैं उन्हें सहारा देकर
टाइलेट में ले गई। मैंने भी पेशाब की और फिर दीदी को लेकर उनके रूम में छोड़ा। फिर
अपने रूम में वापिस आ गई। रूम में पानी नहीं था तो मैंने पानी की बोतल उठाई और मेस
की ओर चल दी अक्वागार्ड का पानी लेने। मेस में मैंने देखा कि एक कमरे की लाईट जल
रही थी और दरवाज़ा थोडा खुला था और अजीब सी सिसकारियाँ सुनाई दे रही थी।

मुझे कुछ अजीब सा लगा तो
कौतूहलवश मैं उस कमरे की ओर चल दी। अंदर का नज़ारा देख के मुझे सारा माजरा समझ आ
गया कि दीदी जानबूझ कर मेस में जा रही थी।

अंदर हमारी मेस के दो कुक और दो
वर्कर प्रियंका दीदी और सानिया दीदी के साथ कामरत थे। वो नजारा देखकर मेरे शरीर
में झुरझुरी दौड़ गई। मैं वहीं खड़े होकर दीदी लोग को सेक्स का मजा लेते हुए देखने
लगी। मैंने पानी पिया और बोतल जमीन पर रख दी। फिर अपने स्तनों और योनि को हाथों से
रगड़ने लगी। मुझे भी उत्तेजना होने लगी। एक बार मन किया कि मैं भी अंदर जाकर सेक्स
का भोग लगा लूं पर हिम्मत न कर सकी।

जब मुझसे बरदाश्त न हुआ तो मैं
भाग के कमरे में आ गई और बिस्तर पर उस नजारे को याद करके अपनी योनि रगड़ने लगी। रात
भर नींद न आई मुझे। मैंने सोच लिया कि सुबह दीदी से बात करुँगी कि मुझे भी एक बार
मौका दिलवा दे। सुबह मैं प्रियंका दीदी के पास
गई और उनसे बोली कि दीदी मुझे भी एक बार मौका दिलवा दो प्लीज़। दीदी ने मान लिया और बोली- चल आज रात तेरा भी मामला
सेट कराती हूँ।

दीदी ने रघु से मेरे लिए बात की, वो हमारी मेस में कुक था। दिन में जब मैं खाना खाने मेस में गई तो वो मुझे देख कर हल्के हल्के मुस्कुरा रहा था। मैं नासमझी में उसकी ओर देखने लगी तो उसने आँख मार दी तो मैंने शर्म से नज़रे झुका ली। खाना खाकर मैं जैसे ही रूम में पहुँची तो प्रियंका दीदी रूम में आई और बोली- तेरा भी मामला फिट हो गया मेरी बन्नो। आज शाम को मेस आफ है, तू सात बजे ही मेस चली जाना। “Girls Hostel Ki Masti”

मेरे मन में आनंद की हिलोर उठ
गई और मैंने खुशी से दीदी को चूम लिया।

दीदी बोली- बस कर, अभी से इतनी
बेकरारी।

मैंने दीदी से कहा- दीदी आप भी
रहोगी न मेरे साथ? मुझे अकेले डर लग रहा है।

थोड़ी न नुकुर के बाद दीदी मान
गई। अब मुझे दिन इतना भारी लगे जैसे खत्म ही नहीं हो रहा है। मन कर रहा था अभी
जाकर मेस में रघु से लिपट जाऊं।

मैंने बाथरूम में जाकर स्नान
किया, जननांगों के बालों को साफ़ किया। जैसे तैसे दिन कट गया।
शाम को प्यारी सी काले रंग की ब्रा पैंटी पहनी और ऊपर से मैक्सी पहन ली। दीदी का
इंतज़ार करते करते आखें पथरा गई। आखिरकार दीदी रूम में प्रकट ही हो गई। उन्होंने
टी-शर्ट और लोअर पहन रखा था।

दीदी मुझसे बोली- चल फटाफट
निकल।

हम दोनों मेस-हाल की तरफ चल
दिए। मेस में घुसते ही मैंने देखा कि वहाँ हम लोगों का इंतज़ार भी बेकरारी से हो
रहा था। एक वर्कर ने मेस का दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया।

दीदी ने रघु को इशारा किया और
फिर मेरे कान में बोली- मैं जा रही हूँ बगल वाले रूम में इन तीनो के साथ, तू रघु के
साथ मौज कर। हम लोग रात 2-3 बजे यहाँ से वापस चलेंगे, ताकि सब लोग
सो जाएँ और किसी को कानो-कान भनक भी न लगने पाए।

मैंने हामी में सर हिला दिया। दीदी ने मेरे गाल पर किस किया और बगल वाले रूम में चली गई। अब इस रूम में मैं और रघु अकेले थे। मैं शरमा रही थी, रघु ने मुझे बाहों में भर लिया और कसकर अपने बदन से चिपका लिया। यह पहली बार था जब किसी मर्द ने मुझे आलिंगन लिया था। मेरे शरीर में झुरझुरी दौड़ गई। मेरे स्तनों में कसाव आ गया। रघु का उत्तेजित अंग मेरी योनि पर टकरा रहा था। उसके हाथ मेरी पीठ से होते हुए मेरे चूतड़ों के ऊपर रेंगने लगे। मैंने शर्म से अपना सर उसके सीने में दुबका लिया। रघु ने मेरी मैक्सी को उतार दिया, मैंने शरमा कर अपने स्तनों को हाथों से ढक लिया। फिर उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए। मैंने रघु का उत्तेजित लिंग देखा तो डर गई। उसका लिंग बहुत ही बड़ा और मोटा था। “Girls Hostel Ki Masti”

रघु ने मुझे खाट पर लिटा दिया
और फिर मेरे ऊपर चढ़ बैठा। उसने मेरे हाथों को स्तनों से हटा दिया और फिर अपने
होठों को मेरे होठों से चिपका कर उन्हें चूसने लगा। मैंने शर्म से अपनी आँखे बंद
कर ली मगर मैं उसका साथ देने लगी। मैं भी उसके होठों का रस पान करने लगी।

उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में दे
दी और मैं भी बीच बीच में अपनी जीभ उसके मुँह में दे देती तो वो खूब कसकर मेरी जीभ
को चूसता। इसी बीच वो अपने हाथों को ब्रा के ऊपर से ही मेरे स्तनों पर फिराने लगा।
मेरी साँसें गहराने लगी। मेरी हालत अजीब सी हो गई, एक बार जी करता कि उसके हाथ पकड़
के रोक लूं, फिर जी करता कि ब्रा फाड़ के उससे कहूँ कि जोरजोर से
स्तनों को भींचे।

और फिर रघु ने अपने हाथ मेरी
पीठ पर ले जाकर ब्रा के हुक को खोल दिया और मेरे बदन से जुदा कर दिया और मेरे स्तन
न सिर्फ उसके सामने बेपर्दा हो गए, वो उसकी मजबूत हथेलियों में
दबोच लिए गए। मेरे पूरे जिस्म में सनसनाहट होने लगी और जब जब रघु मेरे निप्पलों पर
उँगलियाँ फिराता तो मेरा पूरा जिस्म सिहर जाता।

रघु के होठों ने मेरे होठों को
छोड़कर अब निप्पलों को चूसना शुरू किया। अब तो मैं उत्तेजना के पर्वत का आरोहण करने
लगी। मैं उसके सर के बालों में हाथ फिराने लगी। जब मुझे ज्यादा उत्तेजना होने लगती
तो मैं उसके सर के बालों को खींच कर अपने निप्पल को उसके होठों से आजाद करा लेती
मगर वो तुरंत ही दूसरे निप्पल को मुंह में ले लेता था।

मेरी योनि में अजब सी सुरसुरी
होने लगी। मुझे लगा जैसे मेरी योनि चिपचिपा रही है और मेरी पैंटी कुछ गीली सी हो
गई है। रघु ने अपने एक हाथ को मेरी पैंटी में सरका दिया और मेरी योनि को हल्के
हल्के सहलाने लगा। उसकी इस हरकत ने आग में घी डाल दिया। मैं उत्तेजना के मारे
सिसियाने लगी।

रघु ने धीरे से मेरी पैंटी को उतार दिया और मेरी टांगों को चौड़ा खोल कर मेरी योनि में अपनी उंगली डालने का प्रयास करने लगा। क्योकि मेरी योनि अभी तक कंवारी थी इसलिए उसमे सिर्फ उंगली का पोर ही जा पा रहा था। मुझे ऐसा एहसास हुआ जैसे योनि के अंदर से कोई तरल द्रव रिस रहा है और उसकी वजह से योनि मुख और रघु की उंगलियाँ चिपचिपा रही हैं। मेरे मन में रघु के लिंग को छूने की इच्छा हुई तो कंपकपाते हाथों से मैंने उसके लिंग को पहले धीरे से सहलाया, फिर उँगलियों का घेरा बना के लिंग हो हल्के से पकड़ लिया औए धीरे धीरे शिश्नाग्र की त्वचा को आगे पीछे करते हुए सहलाने लगी। “Girls Hostel Ki Masti”

रघु ने भी उत्तेजना भरी सिसकारी
ली और मुझे देखते हुए मुस्कुराने लगा। मैंने शर्म से आँखे बंद कर ली। रघु का लिंग
बहुत ही बड़ा और मोटा था और हाथ के स्पर्श से मुझे वो वैसा ही सख्त लग रहा था जैसा
मैंने ब्लू-फिल्मों में देखा था।

प्रियंका दीदी ने मुझसे कहा था
कि रघु का लिंग बहुत प्यारा है,
उसका आकार देखकर घबराना नहीं, ऐसे ही लिंग
असली मजा देते हैं। दीदी ने मुझसे यह भी कहा कि आज चाहे जितना दर्द हो योनि में, चाहे जान हलक
में आ जाए, खेल खत्म कर के ही रुकना, क्योंकि आज
के बाद तुझे हर बार इस खेल में जन्नत का आनन्द आएगा, और शर्म मत करना।

मैंने शर्म को फिर त्याग दिया
और उठ कर बैठ गई और रघु के लिंग को जोर जोर से सहलाने लगी। रघु सिसिया रहा था और
मेरे स्तनों को जोर जोर से भींच रहा था।

मुझे रघु का लिंग बहुत प्यारा
लग रहा था, उसकी महक उन्मादक थी। पूरे कमरे में भरी वो अजीब सी
महक मुझे उन्मादित कर रही थी। मैंने झुक कर उसके लिंगमुंड का चुम्बन ले लिया, फिर
लिंग-मुंड को मुंह में लेकर चूसने लगी। मैंने ढेर सारा थूक निकाला और हाथ से उसके
पूरे लिंग पर चुपड़ दिया। रघु मेरे सर को अपने लिंग की तरफ दबा रहा था।मैं समझ गई
कि वो क्या चाह रहा है, सो मैंने उसके पूरे लिंग को अपने मुंह में लेकर कसकर
चूसने लगी। रघु की उत्तेजना और लिंग का आकार दोनों बढ़ गए। मैं उसके आधे लिंग को ही
मुंह के अंदर ले पा रही थी। मैं धीरे धीरे उसके लिंग को मुंह में अंदर बाहर करते
हुए चूस रही थी और अंडकोषों को सहला रही थी।

मैं बहुत देर तक रघु का लिंग
चूसती रही, कि उसका लिंग बहुत की विकराल नज़र आने लगा, लिंग की नसें
तक दिखने लगी थी। रघु ने फिर मुझे धीरे से बिस्तर
पर चित लिटा कर मेरी कमर के नीचे दो तकिये लगा दिए और मेरी टांगों को फैलाकर खुद
बीच में बैठ गया, अपने लिंग मुंड को पहले उसने मेरी योनि के मुख से रगड़ा, तो मुझे बड़ा
सुखद एहसास हुआ। मेरी योनि उसके लिंग मुंड की गर्मी का एहसास करके फूल गई।

रघु ने हल्के से लिंग को मेरी
योनि की तरफ दबाया, तो लिंगमुन्ड योनि के मुहाने में फंस गया। मैं
उत्तेजना के मारे कांपने लगी थी। लेकिन अगले धक्के ने मेरी जान हलक में ला दी, उसका लिंग
मेरी योनि को चीरते हुए अंदर प्रवेश कर गया। मैं दर्द से छटपटाते हुए चीख पड़ी। रघु
ने मुझे कमर से कसकर पकड़ा और एक और झटका मारा, तो उसका लिंग मेरी योनि में और
अंदर घुस गया। मैं चीखते हुए अपने को उसकी पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करने लगी, मगर मेरी
कोशिश नाकाम हो गई।

रघु ने मेरे होठों से अपने
होठों को चिपका लिया और जोर जोर से मुझे चूमने लगा। मेरी चीखें घुट कर रह गई। अगले
झटके का दर्द मुझे बर्दाश्त के बाहर लगा, मैंने अपने होठों को छुड़ा लिया
और जोर जोर से ‘दीदी–दीदी’ चिल्लाने लगी। मेरी चीख पुकार सुन कर प्रियंका दीदी आ गई, दीदी पूरी
तरह नग्न थी। दीदी मेरे पास आकर बैठी और मेरे आंसू पोंछते हुए बोली- बस नीलू, आज यह दर्द
पी जा, पहली बार में होता ही है !

मैं दीदी से बोली- दीदी बहुत
दर्द हो रहा है, नहीं झेला जा रहा।

दीदी बोली- चल मैं मदद करती
हूँ।

प्रियंका दीदी मेरे बगल में लेट गई और मेरे स्तनों को धीरे धीरे दबाने लगी। उधर रघु अपने लिंग को मेरी योनि में धीरे धीरे अंदर बाहर करते हुए मर्दन कर रहा था। दीदी मेरे निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगी और साथ ही मेरी योनि के दाने को उंगली से छेड़ने लगी। दीदी की इस हरकत ने जादू कर दिया। मेरे बदन में फिर से उत्तेजक सिहरन उठने लगी। अब मुझे रघु के झटकों में अजब सा आनन्द आ रहा था। “Girls Hostel Ki Masti”

दीदी बोली- अब बता मेरी बन्नो, मजा आ रहा है?

मैं कुछ न बोली।

दीदी बोली- हाँ या ना तो बोल, मेरी बन्नो।

मैंने कहा- हाँ दीदी, आ रहा है।

दीदी ने रघु से कहा- रघु धीरे
धीरे कर ना !

रघु ने फिर धीरे धीरे झटके
मारते हुए लिंग को और घुसाना जारी किया। मगर अब मुझे पहले की तरह दर्द नहीं हुआ।
हालांकि हल्की पीड़ा हो रही थी,
मगर मुझे लिंग की रगड़ से मिल
रही उत्तेजना ने पागल कर दिया। जब रघु ने अपना पूरा लिंग
मेरी योनि में घुसा दिया तो दीदी ने
अपने मोबाईल से मेरी योनि का फोटो लेकर मुझे दिखाया- ये देख तू आज कली से फूल बन
गई।

इतना कहकर दीदी और रघु दोनों
हँसने लगे। मैंने शर्माते हुए फोटो को देखा, तो सच में मेरी योनि में रघु का
पूरा लिंग घुसा हुआ था। योनि से कुछ रक्तस्राव भी हुआ था।

रघु मेरे ऊपर लेट गया और मुझसे
नज़र मिला कर मुस्कुराते हुए बोला- बस अब तैयार हो जाइए, जन्नत की सैर
के लिए।

मैंने कहा- धत्त झूठे, इतना दर्द
देते हो। मर जाती तो जन्नत ही पहुँच गई थी मैं तो आज।

रघु ने हल्के हल्के मेरी योनि
में अपने लिंग को अंदर बाहर करते हुए मर्दन शुरू किया। मेरी उत्तेजना फिर से उठान
पर आ गई। मैंने उसके होठों को अपने होठों से चिपका लिया और जमकर रघु के अधरों का
चुम्बन लेने लगी। रघु ने मेरे स्तनों को दबोच लिया और जोर जोर से भींचने लगा।
मैंने अपनी टांगो का घेरा बना कर रघु की कमर के चारों ओर लपेट लिया और उसके झटकों
के साथ अपनी कमर भी उचकाने लगी।

मेरी योनि के अंदर की दीवारों
में अजब सी सुरसुरी उठने लगी जैसे मेरी योनि बार बार संकुचित हो रही थी कि मेरी
योनि का कसाव रघु के लिंग पर बढ़ने लगा। रघु ने लिंग के झटकों का आयाम और गति दोनों
बढ़ा दिया। अचानक मुझे बहुत तीव्र उत्तेजना हुई और मेरी योनि का स्खलन होने लगा, जैसे कोई तरल
मेरी योनि से निकल पड़ा। मैं बदहवास सी रघु से चिपट कर उस स्खलन का आनंद ले रही थी।

मैंने रघु को कसकर जकड़ लिया कि
वो और झटके न मार पाए, मगर असफल रही। रघु उसी प्रकार झटके लगाता रहा। मेरा
दूसरा स्खलन आने वाला था। रघु भी जोर जोर सांस ले रहा था, मैं उसकी और
देखते हुए स्खलन का आनन्द ले रही थी, कि तभी उसने एक जोरदार झटका
लगाया और थम गया। मुझे अपनी योनि में गर्म गर्म महसूस हुआ, जो कि एक
सुखद एहसास था मेरे लिए।

रघु अभी भी हल्के हल्के झटके लगा रहा था। मगर वो खुद मेरे ऊपर ढेर हो गया था। काफी देर तो वो मेरे ऊपर लेटा रहा। फिर प्रियंका दीदी ने रघु को मेरे ऊपर से उठाया। ‘पुच्च’ की आवाज़ के साथ रघु का लिंग मेरी योनि से बाहर निकला और निकल पड़ी उसके वीर्य की धार, जो उसने मेरी योनि में स्खलित किया था। “Girls Hostel Ki Masti”

दीदी मेरी योनि से निकले वीर्य
को चाट गई। फिर वो रघु के लिंग को चूसने लगी, जैसे वीर्य के आखिरी बूँद तक
चूस लेंगी।

मैं बिस्तर पर चित लेटे हुए
सुस्ताने लगी। प्रियंका दीदी बगल में रघु की मालिश कर रही थी, वो मेरी तरफ
देख रहा था। जैसे ही मुझसे नज़र मिली तो बोला- आपकी चूत गज़ब की कसी है, और चूचियाँ
भी… कसम से बहुत मजा आया। आपको कैसा लगा?

मैं शरमा कर रह गई और कुछ न
बोलकर शर्माते हुए आँखें फेर ली।

प्रियंका दीदी ने तुरंत मेरी
चिकोटी ली और बोली- अरे, बोल ना ! मेरी बन्नो रानी कैसा लगा, तू भी बोल, राजा ! तेरा
लंड गज़ब का है, मेरी चूत को तृप्त कर दिया… अरे बोल ना…

मैं और रघु दोनों हँसने लगे।

दीदी- अब देखना, ये साला रघु, महीनों तक
मेरी चूत को देखेगा भी नहीं,
तेरी चूत का ही गेम बजाया
करेगा। मेरी चूत बेचारी बस इसके लंड को याद करके आंसू बहाया करेगी।

रघु- अरे नहीं जान, इसको तैयार
तो करो, अभी आपको और आपकी चूत को शिकायत का मौका नहीं दूंगा।

इतना सुनते ही दीदी रघु के लिंग को चूसने में लग गई, रघु ने मेरी तरफ आँख मारी और मेरी चूचियों… माफ करें मैं भी उनकी तरह गंदी भाषा बोलने लगी… स्तनों से खेलने लगा…

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