Bhatiji Ka Sahwas Chacha Ke Sath Shuru Ho Gaya

हिंदी सेक्स स्टोरी दोस्तों, कोई भी संबंध प्रमाणिक नहीं होता तो अपने भी अपनों के साथ मौज मस्ती करते हैं और सब सम्बन्ध सिर्फ नाम का ही रह जाता है यदि दो जवान जिस्म आपस में एक होकर शारीरिक सुख का आदान प्रदान करने लगते हैं ,शोभा सिंह के साथ उसके छोटे अंकल अंकित का जिस्मानी ताल्लुकात बना , आप लोगों ने पिछले दो भाग में पढ़ा कि कैसे मेरे चाचा मुझ पर ही टूट पड़े ,वहां खूनी रिश्ते धूमिल होकर जिस्मानी सम्बन्ध को ही तरजीह दी गई. Bhatiji Ka Sahwas Chacha Ke Sath Shuru Ho Gaya.

तो मेरे जैसी लड़की भी इस संबंध को खुशी खुशी स्वीकार कर ली आखिर शरीर की जरूरत भी तो होती है और मेरी भूख बढ़ने लगी थी ,२३ साल की मचलती जवानी को क्या फर्क पड़ेगा अपने अंकल के साथ सेक्स करने में ,वो भी ३० साल का स्मार्ट लौंडा पर यदि सोचें की मेरे अंकल अंकित मेरे रिश्तेदार नहीं होते और दोनों की मुलाकात किसी मोड़ पर हुई होती ,फिर दोस्ती और प्यार होता तो क्या ये शारीरिक सम्बन्ध समाज और परिवार के नजर में गलत या पाप कहलाता ,बिलकुल नहीं ।शोभा की सेक्सी स्लिम फिगर और गोल टाईट बूब्स ,साथ ही V शेप की चूतड़ और चिकनी जांघें तो चुत के दोनों फांक किसी कमसिन जवानी की आग से कम नहीं लेकिन आज तक किसी मर्द या लड़के ने मेरे साथ सेक्स की इच्छा या कोशिश तक नहीं की ,अंकित मेरे चुत की सील तोड़कर मुझे एक नई जिंदगी दिए तो मुझे चुदवाने में थोड़ी दर्द पर मजा भी आया और देर रात दोनों एक दूसरे की नग्न जिस्म को थामे एक ही बेड पर सो गए ।

मेरे अंकल २९-३० साल के हैं तो उनका कसरती बदन साथ ही ७-८ इंच
लम्बा लंड मेरी चुत के लिए काफी है और मेरी नींद सुबह ०८:०० बजे के आसपास खुली तो
तन पर एक चादर थी , मैं उठकर तुरन्त ही नाईटी पहनी फिर
वाशरूम जाकर नित्य क्रिया कर्म कर बाहर निकली तो कामवाली बाई किचन में बर्तन मांज
रही थी और अंकित बाल्कनी में बैठ चाय की चुस्की लेते हुए न्यूज पेपर पढ़ रहे थे ,मैं उनके सामने ही कुर्सी पर बैठी तो अंकित
“हां जरीना ,जरा एक कप चाय शोभा के लिए बनाओ (मैं
बोली)अंकल ,दोपहर ०१:०० बजे की ट्रेन है
(अंकित)एक दो दिन रुक जाओ फिर जाना (मैं सर झुकाए शर्मिंदगी महसूस कर रही थी) अंकित लेकिन पेरेंट्स को क्या बोलूंगी
(अंकित हंसने लगा) बोल देंगे कि टिकट कन्फर्म नहीं हुआ.

(मुझे प्लान अच्छा लगा)ओके ,तो
आप ही डैड से बात कर लेना (अंकित)ठीक है अभी नहीं बल्कि ग्यारह बजे ताकि ट्रेन की
चार्ट निकल जाए “तभी चाय लेकर कामवाली आई और मैं चाय पीने लगी और अंकित बोला
“जो रात को हुआ वो समझो एक मजबूरी थी (मैं)जी तो क्या उसे एक सपना समझ भूल
जाना चाहिए (अंकित मेरी और देखने लगा)तुम्हारी मर्जी , अगर उसे एक हकीकत बनाना चाहती हो तो खुद ही पहल
करोगी” मैं चाय का प्याला लेकर शर्म के मारे वहां से उठकर चली गई तो मेरे
जिस्म की भूख शायद बरकरार थी और खासकर चुत के अन्दर का एहसास मधुरिम था ,थोड़ी लहर पर कुंवारियों की श्रेणी से अब अलग और
यादें उन सहेलियों कि आने लगी जो मुझे सेक्स के लिए उकसा रही थी ,मैं अपने कपड़े लेकर वाशरूम घुसी फिर नाईटी खोलकर
झरना के नीचे नग्न अवस्था में स्नान करने लगी.

झरना से पानी की तेज धार मेरे बदन में अजब की अनुभूति दे रही थी तो भींगे हुए जिस्म पर अब मैं बॉडी शैंपू लगाने लगी ,गर्दन से चूची तक को शैंपू किया तो हर अंश पर मानो अंकित का नाम लिखा हुआ था और अपने कमर तक शैंपू करके मैं पैर के बल बैठी ,दोनों जांघें फैली हुई थी तो जांघों पर शैंपू करके अब चुत पर लगाने लगी ,मानो एक ही बार की चुदाई से चुत की फांक मोटी हो चुकी थी और उसको रगड़ते हुए मैं अंकित के ८-९ इंच लंबे लंड को याद करने लगी थी ,पूरे बदन को शैंपू करके उठी फिर अपने पीठ को रगड़ने लगी तो बदन शैंपू की झाग से ढका हुआ था और अपने चूतड़ को भी शैंपू करके पूरे बदन को कुछ पल तक रगड़ी फिर झरना चलाकर स्नान करने लगी ,तो मन में दुबारा चुदवाने की इच्छा जाग उठी थी ,स्नान करके अपने भींगे जिस्म को टॉवेल से पोंछके नाईटी पहनी फिर वाशरूम से बाहर आई और झट से अपने बैग से स्कर्ट और टॉप्स निकाल पहन ली।

शोभा के बदन में मानो एक सिहरन सी थी तो मन प्रफुल्लित हो चुका
था और अब एक झूठ मॉम को बताकर दो दिन चाचा के घर रुककर जिस्म का रिश्ता बनाना था ,क्या ये मेरी जरूरत है या फिर सिर्फ पल भर की सुख
,लेकिन दो दिन तो अंकित की बाहों में
ही गुजारना था और जीवन की कुछ खुशियां इनसे लेकर ही वापस घर लौटना था ।मैं डायनिंग
हॉल घुसी तो बाई वहीं पर सफाई कर रही थी ,बोली
“दीदी ,नाश्ता में क्या लेंगी (मैं)जो अंकल
के लिए बनेगा “फिर मैं टी वी ऑन करके वहीं बैठ देखने लगी तो अंकित अपने रूम
से निकले ,शायद स्नान करके ही निकले थे तो उनको
ऑफिस भी जाना था और वो मुझे देख मेरे करीब बैठ गए और बोले “जरीना ,जरा ब्रेड बटर और आमलेट तैयार करो (वो बोली) तुरंत सर “उसका सारा काम हो चुका
था तो वो किचन चली गई और अंकित मेरे जांघ पर रख फेरने लगा ,चाहकर भी हाथ नहीं हटा पा रही थी.

और उनका हाथ मेरे स्कर्ट को उपर की ओर करके नग्न जांघ को सहलाने लगा तो मैं उत्तेजना वश उनका हाथ पकड़ अपने चुत पर लगा दी लेकिन शर्म के मारे चेहरा टी वी की ओर ही था और अंकित मेरे चुत को पैंटी पर से रगड़ने लगा तो मेरे अंदर की काम वासना जागने लगी और उनकी उंगलियों की रगड़ पैंटी के ऊपर से ही सही पर मेरे दोनों फांकों के बीच गुदगुदी पैदा कर रही थी और मैं “उफ़ ओह अंकित प्लीज़ अभी नहीं (वो उंगली हटाकर)ठीक है जरीना के जाने के बाद “फिर दोनों बैठे रहे तो कुछ देर के बाद नाश्ता लेकर जरीना आई और दोनों वहीं बैठकर नाश्ता करने लगे और जरीना पूछी “सर खाना बनाने के लिए आऊंगी (अंकित)नहीं “वो चली गई और मैं उठकर दरवाजा बंद कर दी फिर दोनों नाश्ता करके उठे तो अंकित हाथ धोकर मुझे पीछे से पकड़ लिया ,जबकि मैं हाथ धो रही थी. “Bhatiji Ka Sahwas Chacha”

और वो मेरे गर्दन चूमते हुए बूब्स को भी दबाने लगे तो मैं
मुड़कर बोली “आराम से चाचू ,दो दिन का समय
आपके पास है “फिर मैं उनको पीछे धकेल अपने रूम भागी और बेड पर लेट गई तो
अंकित आज ऑफिस जाने वाला नहीं था और वो भी वहां आया और बेड पर आकर मुझे पकड़ने की
कोशिश करने लगा जबकि मैं बेड पर ही इधर से उधर भाग रही थी ,आखिर में अंकित मुझे दबोच ही लिया और मुझे बाहों
के घेरे में लेकर चूमने लगा तो मैं अपनी सांस नियंत्रित करते हुए अंकित के गोद में
ही बैठ गई ,उसके पैजामा की डोरी बैठते ही खींचकर
खोल दी ,मेरा दोनों पैर उसके कमर में लिपटा था
तो उसकी छाती से बूब्स रगड़ते हुए ओंठ पर ओंठ रखकर चुम्बन देने लगी और अंकित मेरे
गर्दन में हाथ डाले मेरे ओंठ को मुंह में लिए चूसने लगा तो मैं उसके पीठ सहलाने
लगी।

शोभा उसके गोद में अपनी गोल चूतड़ रख ओंठ चुस्वाती रही फिर उसके चेहरे को पीछे धकेल ओंठ बाहर की तो अंकित मेरे चेहरा को चूमने लगा और दोनों एक दूसरे की बाहों में समा चुके थे तभी मेरी अंदर की कामुकता जाग उठी और मैं अपना लंबा सा जीभ निकाल उनके ओंठ को ही चाटने लगी तो चाचा मुंह खोलकर मेरी जीभ अंदर लिए चूसने लगे और उनका हाथ मेरे ढीले टॉप्स के अंदर घुस चुका था तो नग्न पीठ वो सहलाते हुए मुझे गरम कर रहे थे ।कुछ पल तक उनसे जीभ चुसवा कर चुत की आग बढ़ा दी लेकिन मैं तो अपने तन की भूख के आगे मजबुर थी ,अंकित मुझे बेड पर लिटा कर मेरे टॉप्स को ही गर्दन से बाहर करने लगा और मेरी उफान लेती चूचियां ब्रा में कैद उसके हाथ का स्पर्श पा रही थी.

पर चाचू तो मुझे नग्न करके ही दम लेते ,वो मेरे चूची मसलते हुए मेरी स्कर्ट को कमर से नीचे करने लगे तो मेरा इलास्टिक कमरबंद उनको थोड़ी कठिनाई तो पैदा कर रही थी पर मेरा विरोध सिर्फ दिखावा था ,आखिर में मेरी चूचियां नग्न हो गई तो शोभा का जिस्म सिर्फ एक पैंटी के सहारे ढका हुआ था ,चुत के अलावा सारे खूबसूरत अंग नग्न थे तो अंकित मेरे छाती पर झुककर बाईं चूची को मुंह में लिए चूसने लगे तो मैं अपने दोनों जांघें आपस में रगड़कर चुत की खुजली को कम करने लगी ।अंकित मेरी कसी हुई चूची को चूस चूसकर लाल कर चुका था तो मैं “उह ओह अब छोड़ो ना प्लीज (अंकित चूची छोड़ बोला)रानी ,तेरा स्तन काफी सेक्सी है “और मैं शर्म के मारे दोनों हथेली से चेहरा ढकने लगी पर चाचू तो मेरा दाहिना स्तन मुंह के अंदर लेकर चूसने लगा और मेरे चुत की गुदगुदी बढ़ चुकी थी. “Bhatiji Ka Sahwas Chacha”

मानो लंड की रगड़ की प्यासी हो तो अंकित के पैजामा को कमर से
नीचे किए मैं उसके मूसल लंड को हाथ में पकड़ दबाने लगी और वो कुछ देर बाद चूची
छोड़ कर उठा । बेड पर शोभा नंगे लेटी हुई थी तो उसकी बुर पैंटी में छुपी हुई और
अंकित के लंड देख मेरे मुंह में पानी आने लगा तो चाचू मेरे चूतड के नीचे तकिया
डालकर जांघ को चूमने लगे ,उनके ओंठ का प्यार पाकर जांघें दोनों
दिशा में फैलने लगी तो अंदर चुत में खलबली मची हुई थी और वो मेरे जांघ पर किस्स
देते हुए मुझे गरम कर चुके थे और मैं “उह ओह अंकित अब नहीं खोलो मेरी पेंटी
(वो सर उठाकर मुस्कराया)पैंटी खोलता हूं रानी फिर क्या करना है डार्लिंग (मैं शर्म
से चेहरा फेर ली)पता नहीं डियर जो करना हो करो “फिर चाचू मेरी पेंटी के हुक
खोलकर चुत को नग्न कर दिए ,मेरी सांसें थम सी गई थी.

तो अंकित मेरे जांघों के बीच चेहरा लगाकर चुत पर चुम्बन देने लगे और मेरी
चूतड़ हवा में होने लगी तो चाचू मेरे चुत की फांकों को उंगली से फैलाकर चुत में
जीभ घुसेड़ दिए पर ये तो २३ साल की लौंडिया की चुत है ना कि मेरी मॉम का भोंसड़ा ,मेरे चुत में अंकित का जीभ पूरी तरह से घुस तो
नहीं पाया था लेकिन वो लपलप उसे चाटने लगा और मैं तो स्वर्ग की सैर करने लगी
“उह ओह आह अंकित बहुत गुदगुदी हो रही है आह अब मत चाटो (वो बुर से जीभ निकाल
बोला और फिर उसकी मोटी फांकों को चूसने लगा)चिंता मत कर साली ,तुझे पूरी तरह से गरम करके ही चोदूंगा “तो
मेरे चुत की शिसनिका उसके दांतो के बीच थे और वो किसी बच्चे की तरह लेमुँचूस यानी
मेरी बुर चूसने में मस्त था ,शोभा बेड पर
छटपटा रही थी तो उसकी आग कि भट्टी समान चुत से रज धार निकलने को ही थी ,सोच रही थी कि चाचू के मुंह में मूत ही दूं.

लेकिन फिलहाल तो उनसे छोड़ने को बोली “बाप रे आह ये ले कुत्ते मेरा निकला “तो मेरी बुर से रज का फव्वारा निकल पड़ा और अंकित उसे पीकर मस्त हो उठा ,मैं मूतने के लिए नग्न ही वाशरूम भागी तो पीछे से अंकल भी आ पहुंचे ,मैं टॉयलेट सीट पर टांग फैलाए मूत रही थी तो चाचू मेरी ओर देख अपना खड़ा लंड पकड़े मुझे दिखा रहे थे।मैं फ्रेश होकर निकली और बेड पर जाकर लेट गई साथ ही एक चादर अपने तन पर डालकर नग्न शरीर को ढक ली। पल भर बाद अंकित वहां आया तो उसके कमर से टॉवेल लिपटा था और शोभा उनको देख मुस्कुराने लगी तो चाचू बोले “चल डायनिंग हॉल में बैठकर ड्रिंक्स लेते हैं (मैं)ठीक है मैं आती हूं “वो रूम से निकले तो मैं उठकर एक नाईटी बदन पर डालकर डायनिंग हॉल गई और अंकल तो वहां पेक बनाने में लगे हुए थे ,बीते रात दो लाईट पेक शराब पीकर एक नया स्वाद चख ली थी. “Bhatiji Ka Sahwas Chacha”

तो उससे नशीला तो चाचू का लंड ही है और मैं अंकित के बगल में
बैठकर उसके टॉवेल पर बनी लंड के उभार को देख चूसने को तड़प रही थी ,तभी अंकित मुझे ग्लाश बढ़ाते हुए बोले “लो
पी लो बेबी फिर मॉम को कॉल करके बता देना (मैं गलास हाथ में लिए मुंह से
लगाई)अंकित तुम ही मॉम से बात कर लेना ,कहीं
मेरी बात उन्हें झूठी ना लगे “और एक पैक व्हिस्की पीने के बाद मेरा सर चकराने
लगा , नशा में मस्त शोभा ये भूल गई की पास
बैठे इंसान छोटे चाचा हैं और तभी मैं टेबल पर से सिगरेट की पैकेट लेकर एक सिगरेट
निकाली फिर उसे जला के फूंकने लगी लेकिन मेरे मन में सेक्स की ज्वाला भड़क उठी थी
तो मेरा हाथ अंकित के टॉवेल पर चला गया ,लंड
के उभार को ज्योंहि सहलाई अंकित मुझे तिरछी नजरों से देखने लगे और शर्म के मारे
मैं अपना हाथ उस लंड के उभार पर से हटा ली लेकिन अंकित ड्रिंक्स लेकर मेरे कंधे पर
हाथ दिए मेरे चेहरा को चूमने लगे ।

शोभा का हाथ दुबारा उसके लंड पर गया पर अबकी बार उसके टॉवेल को ही खींचकर हटा दी तो मूसल लंड पूरी तरह से टाईट था और नशे में चूर शोभा बिना देर किए अंकित के पैर के पास बैठी तो अंकित मेरे चेहरा को सहलाने लगा “पहले उठकर अपने इस कपड़े को खोल (मैं खड़ी होकर अपने नाईटी खोल बदन से अलग कर नग्न हो गई)अब ठीक है डियर (वो हंसने लगा)हां अब जरा मेरे लंड चूस चूस कर लाल कर दे “तो मैं उसके पैर के सामने बैठ लंड को सहलाने लगी ,फिर उसके सुपाड़ा को ओंठ पर रगड़ते हुए मुंह खोली तो आधा लंड ही निगलते सुपाड़ा गले तक अटक गया फिर मैं मुंह में लंड लिए सर का झटका देते हुए अपने मुंह का प्यास बुझाने लगी और अंकित मेरी चूची को पकड़ दबाने लगे ,शर्म हया सब भूलकर अपने छोटे चाचा के साथ सेक्स का आंनद ले रही थी. “Bhatiji Ka Sahwas Chacha”

तो अंकित मेरे लंबे जुल्फों को कसकर पकड़े अब नीचे से ही मुंह
में लंड का धक्का देने लगा ,मेरे चुत की
गर्मी जून माह की गर्मी से भी अधिक थी तो अब शोभा चुदाई को उत्सुक थी साथ ही सील
टूटने के बाद की पहली चुदाई बहुत मजेदार होती है ऐसा मुझे मेरी एक सहेली ने बताया
था ,कुछ देर बाद लंड मुंह से निकाल उठी और
नग्न ही वाशरूम चली गई ।शोभा ओरल सेक्स का आनन्द लेकर कामुकता की प्यासी हो चुकी
थी तो अंकित का मूसल लंड मुझे चोदने को तैयार था फिर मैं उनके पास आई तो वो मुझे
बेड पर लेटने को बोले और मैं दूसरा ड्रिंक्स का गलास हाथ में लिए बेडरूम चली गई और
बेड पर बैठकर व्हिस्की का आनंद लेने लगी ,मेरे
जिस्म में सेक्स की आग थी तो शराब का नशा.

फिर चाचू आकर मेरे हाथ से ग्लास लेकर रखे और मुझे बेड पर लिटा दिए अब मेरी सांसे तेज हो चुकी थी तो चूचियां उपर और नीचे हो रही थी ।अंकित मेरे दोनों जांघ फैलाकर अपना मूसललंड पकड़े चुत के मुहाने पर रगड़ने लगा तो सुपाड़ा अंदर घुसा फिर वो लंड को चुत में ताकत के साथ चानपने लगा और आधा से अधिक लंड तो आराम से मैं और मेरी चुत निगल गई फिर आगे लंड को तंग रास्ता मिल रहा था ,पर सब्र रखे चाचू फिर से थोड़ा लंड बाहर किए और जोर का धक्का चुत में दे मारे ,तो लगा कि मेरी चुत ककड़ी की तरह फट गई हो और मैं चीख उठी “बाप रे फाड़ दिया चुत को”लेकिन पल भर में ही लंड का धक्का चुत और मुझे मजा देने लगा. “Bhatiji Ka Sahwas Chacha”

मेरे चुत में मानो कोई लोहे कि सलाख घुस रही हो तो चाचू तीव्र गति से चोदते हुए मेरे ऊपर सवार हो गए और उनके बदन के नीचे लेटे हुए मैं ताबड़तोड़ चुदाई से मस्त होने लगी ,उनके पीठ सहलाते हुए “उह ओह उई आह बहुत मजा आ रहा है अंकित पर जरा आराम से (वो मेरे ओंठ चूम कर) बेबी तू बहुत सुंदर और सेक्सी है “तो अंकित अब धीरे धीरे चुदाई करने लगा और मेरे दोनों स्तन उसके चौड़ी छाती से दब रहे थे ,दो जिस्म एक दूसरे से लिपटे सहवास सुख का आनंद लेने में लगे हुए थे तो मैं चुत की गर्मी से परेशान थी लेकिन पहली चुदाई के सामने इस चुदाई में दर्द की जगह सिर्फ मजा था तो मैं अब अंकित के गाल चूमकर बोली “अब जल्दी करो डियर ,अंदर की आग बुझाओ ना “तो अंकित १०-१२ धक्के देकर बुर में ही वीर्य झाड़ दिया और मेरी चुत में गरम चिपचिपा वीर्य झड़ा तो मैं भी साथ ही रज धार छोड़कर चुदाई का आनंद दुना और पूर्ण कर दी ।दोनों एक दूसरे के साथ ऐसे ही कुछ देर लेटे रहे फिर फ्रेश होकर आराम करने लगे.

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